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नए कृषि कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, 4 सदस्यीय कमेटी बनाई; पढ़ें सदस्यों के बारे में

नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है। किसान राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर 48 दिन से डटे हुए हैं। संसद से साढ़े तीन महीने पहले पास हुए तीन कृषि कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रोक लगा दी। कृषि कानूनों को चुनौती देती याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यों की कमेटी भी बना दी। यह कमेटी किसानों से बातचीत करेगी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला न किसानों के लिए जीत है और न सरकार के लिए हार।

पिछले साल सितंबर में सरकार ने तीन कृषि कानून संसद से पास कराए थे। 22 से 24 सितंबर के बीच राष्ट्रपति ने इन कानूनों पर मुहर लगा दी थी। किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। कुछ वकीलों ने भी इन कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने 4 विशेषज्ञों की जो कमेटी बनाई है, उसमें कोई रिटायर्ड जज शामिल नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट की समिति मे शामिल हैं ये चार सदस्य
भूपिंदर सिंह मान , बीकेयू के अध्यक्ष
डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अंतरराष्ट्रीय नीति प्रमुख
अशोक गुलाटी, कृषि अर्थशास्त्री
अनिल धनवत, शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र

भूपिंदर सिंह मान
भूपिंदर सिंह मान का जन्म 15 सितंबर 1939 को गुजरांवाला (पाकिस्तान) में हुआ था। वह भारतीय किसान यूनियन यानी बीकेयू के अध्यक्ष हैं और वह 1990-96 तक राज्यसभा के सांसद भी रह चुके हैं। भूपिंदर सिंह मान ने बीते साल कृषि अध्यादेशों को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी भी लिखी थी। वयोवृद्ध किसान नेता ने पत्र में कहा था मौजूदा रूप में इन अध्यादेशों से किसानों को कोई मदद नहीं होगी। बल्कि इसने एक डर पैदा कर दिया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को दूर किया जा रहा है। उन्होंने चिट्ठी के जरिए कुछ सुझाव भी दिए थे।

अनिल घनवट
इस समिति में कोर्ट ने शेतकारी संगठन के अनिल घनवट को भी शामिल किया है। शेतकारी संगठन कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले किसान संगठनों में से एक है। यह संगठन चर्चित किसान नेता रहे शरद जोशी का संगठन है, जो महाराष्ट्र का है।

अशोक गुलाटी
समिति में तीसरा नाम कृषि विशेषज्ञ पद्मश्री अशोक गुलाटी का है। डॉक्टर अशोक गुलाटी खाद्य आपूर्ति और मूल्य निर्धारण नीतियों पर भारत सरकार को सलाह देने वाले कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट्स ऐंड प्राइसेज के चेयरमैन रह चुके हैं। वह 1999 से 2001 तक प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य थे। गुलाटी ने कई खाद्यान्नों के एमएसपी में वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रमोद जोशी
समिति में चौथा नाम खाद्य नीति विशेषज्ञ प्रमोद जोशी का है। वह इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट, दक्षिण एशिया के डायरेक्टर रह चुके हैं। इससे पहले उन्होंने राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी हैदराबाद के निदेशक का पद संभाला था। इससे पहले पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार ने किसानों के कर्ज माफी को लेकर बनाई समिति में भी प्रमोद जोशी को शामिल किया था। डॉक्टर जोशी ने ढाका, बांग्लादेश में सार्क कृषि केंद्र के गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है।

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